भारत में नकली में नोट की बढती समस्या और कागज के नोट के जल्दी फटने के कारण होने वाली वित्तीय नुक्सान को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2014 से देश के 5 शहरों कोच्ची, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर में प्रयोग के आधार पर 10 रूपये के प्लास्टिक के नोट चलाने का फैसला लिया है, हालाँकि इसे प्रयोग में नही लाया जा सका है | इस काम के लिये शुरुवात में 10 रुपये के लगभग 1 अरब नोट छापे जाएंगे |
- प्लास्टिक के नोट की सबसे पहले शुरुवात कहा हुई थी? सबसे पहले प्लास्टिक के नोट की शुरुवात ऑस्ट्रेलिया में 1988 में हुई थी | इसे बनाने का श्रय रिज़र्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया, मेलबोर्न यूनिवर्सिटी और राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और ओद्योगिक अनुसन्धान संगठन को जाता है | इस प्रयोग में सफलता मिलने पर 1996 में इसे पुरे देश में लागू कर दिया गया |
- कितने देशों में प्लास्टिक के नोट चलते है? ऑस्ट्रेलिया के बाद प्लास्टिक के नोट कनाड़ा, इस्राइल, न्यूजीलैंड, फिजी, पपोआ, न्यू गिनिया, वियतनाम, रोमानिया, मॉरिशस और ब्रूनेई जैसे देशों में चलते है | वैसे पिछले 5 वर्षों में दुनिया के 30 देशों ने प्लास्टिक के नोट को अपनाया है | भारत में रिज़र्व बैंक इस दिशा में वर्ष 2010 से काम कर रहा है |
- प्लास्टिक के नोट के क्या फायदे है?
- वर्ष 2012-13 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोट छापने में 2376 करोड़ रूपये खर्च किए थे जो की कुल मुद्रा का लगभग 1.5% है | कागज के नोट लगभग 2 साल तक ही चलते है जबकि पॉलीमर नोट के नाम से जानने वाले प्लास्टि से बने नोट लगभग 5 साल तक चलते है | इस प्रकार प्लास्टि के नोट बनाकर सरकार हर साल अपना बहुत सारा खर्चा बचा सकती है |
- सुरक्षा के मामले में भी प्लास्टिक के नोट बहुत बेहतर है | इस पर किये जाने वाले सुरक्षा उपायों की नकल नही करी जा सकती है | जैसे ट्रांसपेरेंट विंडो, वॉटरमार्क का निशान या ऐसे अंकों का प्रयोग जो आसानी से नही दिखंगे |
- कागज के नकली नोट छापने के लिए पेपर प्रिंटिंग आसान होती है जबकि प्लास्टिक पर प्रिंटिंग आसान नहीं होती है |
- प्लास्टिक के नोट्स कागज के नोटों कि तुलना में काफी साफ सुथरे होते है |
- पर्यावरण की रक्षा के मामले में भी प्लास्टिक के नोटों का बड़ा योगदान हो सकता है क्योंकि ये नोट ज्यादा समय तक चलते है इस कारण उर्जा की कम जरूरत होगी जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग में 32% तक कमी आने का अनुमान व्यक्त किया गया है |
- प्लास्टिक के नोटों को रीसायकल कर उनसे प्लास्टिक की दूसरी जीजे बनाई जा सकती है |
- जैसा की हम जानते है की कागज के नोट्स बहुत से इंसानों के हाथों से होकर गुजरते है इस कारण इन नोटों पर कई खतरनाक बैक्टीरिया चिपक जाते है जो कि स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओ को पैदा करते है | लेकिन प्लास्टिक के नोटों में यह समस्या इतनी बड़ी नही होगी क्योंकि बैक्टीरिया प्लास्टिक के नोटों पर जल्दी नही चिपक पाता है, और यदि चिपक भी जाता है तो नोटों को धोकर हटाया भी जा सकता है |
तो इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि प्लास्टिक के नोट कागज के नोट से कई प्रकार से बेहतर है |
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