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Showing posts from December, 2017

माचू पिच्चु

माचू पिच्चू   दक्षिण अमेरिकी देश  पेरू  मे स्थित एक  कोलम्बस-पूर्व युग ,  इंका  सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है। यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी , जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है। यह  कुज़्को  से 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर पश्चिम में स्थित है। बहुत से  पुरातत्वविदों का मानना ​​है कि माचू पिच्चु का निर्माण इंका सम्राट पचकुति (1438-1472) के लिए एक रियासत के रूप में किया गया था। इसे अक्सर “इंकाओं का खोया शहर" भी कहा जाता है। माचू पिच्चू इंका साम्राज्य के सबसे परिचित प्रतीकों में से एक है।   क्वेशुआ भाषा में, माचू का मतलब "पुराना" या "पुराना व्यक्ति" है, जबकि पिच्चु का मतलब "शिखर" या "पर्वत" है| माचू पिच्चु 1450-60 के आसपास बनाया गया था | पुराता त्त्वों का मानना है कि इंका शासक, पचकुति इनका युुपानक्वी (1438-71) ने अपने सफल सैन्य अभियान के बाद खुद के लिए शाही रियासत का निर्माण करने का आदेश दिया था। लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही

क्राइस्ट द रिडीमर - दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू

क्राइस्ट द रिडीमर  ब्राजील के रियो डी जनेरियो, में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। इसे फ्रांसीसी मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की और फ्रांसीसी इंजीनियर अल्बर्ट कैकोट के सहयोग से ब्राजील के इंजीनियर हेटर दा सिल्वा कोस्टा द्वारा बनाया गया है। रोमानियाई मूर्तिकार गिरोघे लियोनिडा ने चेहरा बनाया है। 1922 से 1931 के बीच बनाई गई यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फीट) लंबी और 30 मीटर (98 फीट) चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में  700-मीटर (2,300 फीट)  उच्चे  कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर  स्थित है जहाँ से पूरा शहर दिखाई देता है।  ईसाई धर्म  के एक प्रतीक के रूप में यह प्रतिमा रियो और ब्राजील की एक पहचान बन गयी है।  यह मजबूत कांक्रीट और सोपस्टोन से बनी है | क्राइस्ट द रिडीमर इतिहास कोर्कोवाडो की चोटी पर एक विशाल प्रतिमा खड़ी करने का विचार पहली बार 1850 के दशक के मध्य में सुझाया गया था जब कैथोलिक पादरी पेड्रो मारिया बॉस ने राजकुमारी ईसाबेल से एक विशाल धार

गोदावरी नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about Godavari river)

गोदावरी   दक्षिण   भारत  की एक प्रमुख  नदी  है| इसे दक्षिण की  गंगा  भी कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमघाट की पर्वत श्रेणी के अन्तर्गत  त्रिम्बक  पर्वत से हुई है। यह  महाराष्ट्र  में  नासिक  जिले से निकलती है।    इसकी लम्बाई लगभग 1450 किलोमीटर है।   गोदावरी की  उपनदियों  में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा। यह महाराष्ट,तेलंगना और  आंध्र प्रदेश  से बहते हुए राजहमुन्द्री शहर के समीप  बंगाल की खाड़ी  मे जाकर मिलती है। गोदावरी नदी गंगा नदी के बाद भारत की सबसे बड़ी नदी है | महाराष्ट्र के नासिक नगर से 30 कि.मी. पश्चिम में ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलकर गोदावरी नदी लगभग 1,450 कि.मी. तक प्रवाहित होकर मछलीपत्तनम नरसापुर के उत्तर तथा राजमहेन्द्री से 70 कि.मी. पूर्व ही सात भागों- कौशिकी, वृद्धगौतमी, गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी तथा तुल्या वसिष्ठा में विभाजित होकर बंगसागर में प्रविष्ट हो जाती है। सात भागों में विभाजित होने से सप्त गोदावरी भी इसका नाम पड़ा है। नामकरण - कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द 'गोद' से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है | एक बा

कावेरी नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Kaveri)

कावेरी नदी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहनेवाली नदी है | इसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है | पु राणों ने इस नदी को अग्नि देवता की 16 नदी पत्नियों में से एक बताया है। कर्नाटक राज्य के कुर्ग के पास ब्रह्मगिरि पर्वत पर चंद्रतीर्थ ही इस नदी की उद्गम स्थली है। श्री रंगपट्टम, नरसीपुर, तिरुमकुल, शिव समुद्रम आदि कई तटवर्ती तीर्थ व नगर इसके किनारे स्थित हैं। कर्नाटक राज्य में  एक सुन्दर क्षेत्र है, कुर्ग । कुर्ग के ‘ब्रह्मगिरी’ (सह्या) पर्वत पर 'तालकावेरी' नामक तालाब है। यही तालाब कावेरी नदी का उदगम-स्थान है। यह सह्याद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व की दिशा में कर्नाटक और तमिलनाडु से बहती हुई लगभग 800 किमी मार्ग तय कर कावेरीपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है । कावेरी नदी में मिलने वाली मुख्य नदियों में हरंगी, हेमवती, नोयिल, अमरावती, सिमसा , लक्ष्मणतीर्थ, भवानी, काबिनी मुख्य हैं । कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंट कर फिर एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं, उन द्वीपों पर क्रमश: आदिरंगम , शिवसमुद्रम तथा श्रीरंगम नाम से श्री विष्णु भग

नर्मदा नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Narmada)

नर्मदा , जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। य ह गोदावरी नदी  और  कृष्णा नदी   के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। नर्मदा नदी  अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,221 किमी (815.2 मील) चल कर खंभात की खाड़ी(Bay of Cambay) , अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा नदी भारत के चार राज्य- छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बहती है | इसकी लम्बाई मध्यप्रदेश में अधिक है | इस नदी के किनारे अमरकंटक,नेमावर,   गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ  आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है। नर्मदा नदी पर स्थित धुआँधार जलप्रपात और भेढ़ाघाट जलप्रपात (दोनों मध्य प्रदेश में स्थित)  दो प्रमुख जल-प्रपात  है | नर्मदा नदी की दक्षिण की ओर से सहायक नदियाँ - शार, शाककर, दधी,  तवा  (सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल हैं।  हिर

ब्रह्मपुत्र नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Brahmaputra)

ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत, भारत तथा बंगलादेश में होकर बहती है |    ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत के दक्षिण में स्थित आंग्सी ग्लेशियर (कैलाश-मानसरोवर के निकट) चेमायुंग दुंग नामक हिमवाह से हुआ है। आमतौर पर  भारतीय नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर  ब्रह्मपुत्र  एक अपवाद (exception) है |  संस्कृत  में  ब्रह्मपुत्र  का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा    का पुत्र  होता है। ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लम्बाई 2900  किलोमीटर है | ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करती है | जब ब्रह्मपुत्र पहाड़ी क्षेत्र से होकर अरुणाचल में प्रवेश करती है तो इसे सियांग कहा जाता है और अरुणाचल के मैदानी क्षेत्र में पहुंचने के बाद इसे दिहांग नाम से जाना जाता है | ब्रह्मपुत्र नदी अपने पूरे मार्ग में मुख्यत: दो बार  दिशा बदलती है | एक बार चीन से भारत की सीमा में  प्रवेश  होने के समय और दूसरी बार भारत से बांग्लादेश में  प्रवेश  होने के समय | ब्रह्मपुत्र नदी भारत के दो राज्य  अरुणाचल प्रदेश और असम   से होकर बहती है | ब्रह्मपुत्र की लम्बाई असम में अधिक है | ब्रह्मपुत्र  गंगा या पद्मा  नदी से मिलकर स

गंगा नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Ganga)

भारत  की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी  गंगा , जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2,525 किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड  में हिमालय  से लेकर बंगाल की खाड़ी  के सुन्दरवन  तक विशाल भू-भाग को सींचती है। भारत  की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा  नदी को देवी  के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल  गंगा नदी के किनारे पर बसे हुए हैं, जिनमें वाराणसी  और हरिद्वार  सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है एवम् यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों  का नाश हो जाता है।   पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा नदी को मन्दाकिनी  और पाताल में भागीरथी  कहते हैं। गंगा नदी 2,071 कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद 454  कि॰मी॰ तक बांग्लादेश में अपनी लम्बी यात्रा करती हैं | 100 फीट (31 मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के गिरिया स्थान के पास गंगा नदी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है— भागीरथी और पद्मा । भागीरथी नदी गिरिय

यमुना नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Yamuna)

यमुना जिसे जमुना के नाम से भी जाना जाता है भारत की एक नदी है | यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है | यह यमुनौत्री नामक जगह से निकलती है | यमुना का उद्गम स्थान हिमालय  के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी  कहा जाता है। पश्चिमी  हिमालय   से निकल कर  उत्तर प्रदेश  एवं  हरियाणा   की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी  सहारनपुर  (मैदानी इलाका) पहुँचती है। फिर यह दिल्ली,  आगरा   से होती हुई  इलाहाबाद   में गंगा   नदी में मिल जाती है। यमुना नदी की औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) तक है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (50 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट (1 मीटर) तक हैं। यमुना नदी की लम्बाई 1,376 की.मी. हैं | यमुना नदी के किनारे बसे नगर दिल्ली, आगरा, हमीरपुर, इलाहाबाद आदि हैं | इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन  उल्लेखनीय हैं। दुनियां के सात अजुबों में से एक विश्‍व प्रसिद्ध इमारत ताजम

स्टीव जॉब्स - एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक

जो लोग यह सोच कर पागल होते है की वे दुनिया को बदल सकते है, तो वे लोग वो होते है जो ये कर सकते है | यह कहना है एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स का | 24 फरवरी 1955 को कैलिफ़ोर्निया में जन्मे स्टीव जॉब्स का जीवन जन्म से ही संघर्षों से भरा हुआ था | उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी, और इसी कारण वे उन्हें रखना नहीं चाहती थी, और इसीलिए स्टीव को किसी को गोद देने का फैसला लिया | फिर स्टीव को कैलिफ़ोर्निया के पॉल और कालरा स्टीव ने गोद ले लिया , पॉल एक मैकेनिक थे और कालरा एक अकाउंटेंट थी | 1961 में पॉल और कालरा कैलिफ़ोर्निया के माउंट व्यू में रहने लगे और वहाँ पर पॉल ने एक गैराज खोल लिया | यही पर स्टीव की पढाई शुरू हुई और वे यही पर बड़े हुए | स्टीव को बचपन से ही इलेक्ट्रिकल सामान अच्छे लगते थे, और वो किसी भी इलेक्ट्रिकल वस्तु को खोलते और जोड़ते रहते थे| स्टीव ने अपनी प्राथमिक (Primary) शिक्षा मोंटा लोमा स्कूल से और उच्च (High) शिक्षा कूपटिर्नो जूनियर हाई स्कूल से पूरी की थी | 1972 में अपनी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए ओरेगन(Oregan) के रीड कॉलेज (Read College) में दाखि

सुन्दर पिचाई - दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के सीईओ

आप अपनी हार को सम्मान के पदक के रूप में पहने | यह क ह ना है दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई का | सुन्दर पिचाई का पूरा नाम  पिचाई सुंदर राजन है | उनका जन्म 12 जुलाई 1972 को तमिलनाडु के  मदुरै शहर में हुआ था | उनके पिता का नाम  रघुनाथ पिचाई है, जो की सीनियर इलेक्ट्रिकल इंजिनियर थे | उनकी माता का नाम लक्ष्मी पिचाई है, जो की स्टेनोग्राफर थी | पिचाई बचपन से ही पढाई में बहुत होशियार थे | उन्हें क्रिकेट खलने का भी शौक था, और वे अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे | उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा जवाहर विधालय से और उच्च शिक्षा IIT चेन्नई में स्थित वना वाणी विधालय से पूरी करी | पिचाई ने अपनी बी.टेक की पढाई करने के लिए IIT खरगपुर में एडमिशन लिया और मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढाई शुरू करी | 1993 में पिचाई ने अपनी फाइनल परीक्षा में टॉप किया और रजत पदक भी हासिल किया | उन्होंने  स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग में मास्टर्स ऑफ साइंस किया और  पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया | अपनी पढ़ाई पूरी करने के बा

मार्क जुकरबर्ग - दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक के सह-संस्थापक

लोग इसकी परवाह नही करते है की आप क्या कहते हैं, लोग इसकी परवाह करते है की आप क्या बनाते है | यह कहना है दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक के सह-संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का | मार्क जुकरबर्ग का पूरा नाम मार्क इलियट जुकरबर्ग   ( Mark Elliot Zuckerberg ) है | मार्क का जन्म 14 मई 1984 को वाइट प्लेन्स, न्यू यॉर्क   (White Plains, New York)  में हुआ था | मार्क को बचपन से कंप्यूटर और इन्टरनेट का बहुत शौक था | मार्क बहुत छोटी सी उम्र में ही कंप्यूटर प्रोग्राम लिख लिया करते थे | इसीलिए उनके पिता ने उनके लिए एक कंप्यूटर टीचर लगाया जो मार्क को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सिखाते थे | लेकिन मार्क का दिमाग इतना तेज था की वो अपने कंप्यूटर टीचर को भी फ़ैल कर दिया करते थे | जब मार्क सिर्फ 12 साल के थे तब उन्होंने एक मेसेजिंग प्रोग्राम बनाया था जिसको मार्क ने "ZUCKNET" नाम दिया था | इस सॉफ्टवेर से घर के सभी कंप्यूटर को आपस में एक साथ जोड़कर मेसेज के जरीये बात कर सकते थे | यही नही जिस उम्र में बच्चे कंप्यूटर गेम चलाना सीखते है उसी उम्र में मार्क अपने दोस्तों के लिय कंप्यूटर गे

आमेर दुर्ग

आमेर दुर्ग भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित एक पर्वतीय दुर्ग है | आमेर दुर्ग को आमेर महल या आमेर का किला भी कहा जाता है | आमेर दुर्ग अरावली पर्वतमाला के एक पर्वत चील का टीला के ऊपर बना हुआ है | आमेर क्षेत्र मूल रूप से स्थानीय मीणाओं द्वारा बसाया गया था | जिस पर कालांतर में कछवाहा राजपूत मान सिंह प्रथम (दिसम्बर 21, 1550-जुलाई 6, 1614) ने राज किया और इस दुर्ग का निर्माण करवाया | ये दुर्ग अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिए भी जाना जाता हैं | लाल बलुआ पत्थर एवं संगमर्मर से निर्मित ये आकर्षक दुर्ग पहाड़ी के चारों स्तरों पर बना हुआ है, जिसमें प्रत्येक में विशाल प्रांगण है | इसमें दीवान-ए-आम अर्थात जन साधारण का प्रांगण, दीवान-ए-खास अर्थात विशिष्ट प्रांगण, शीश महल या जय मंदिर एवं सुख निवास आदि भाग है | मावठा झील आमेर दुर्ग के नीचे स्थित है |  झील के एक किनारे के साथ-साथ ही दुर्ग में जाने का पैदल मार्ग है, एवं एक सुंदर उद्यान भी बना है। इसका निर्माण कछवाहा राजा जयसिंह   के समय में किया गया था। वर्षा ऋतू  में मावठा झील पानी

भानगढ़ किला जहां सूरज ढलते ही जाग जाती हैं आत्माएं और शुरू हो जाता है मौत का तांडव

 दुनिया में ऐसे कई स्थान हैं जहाँ बुरी आत्माओं ने अपना कब्जा जमा रखा है | ऐसा ही एक स्थान है राजस्थान के अलवर जिले में स्तिथ भानगढ़ का किला , जो अपनी भुतिया कहानियों की वजह से जाना जाता है | भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है | इस किले से कुछ किलोमीटर कि दुरी पर सरिस्का राष्ट्रिय उधान (Sariska National Park) हैं | भानगढ़ का परिचय  भानगढ़ के प्राचीन स्थल की स्थापना आमेर के शासक राजा भगवंत दास ने 16वीं शताब्दी में की थी, जिसे बाद में राजा मान सिंह के भाई माधोसिंह की रियासत की राजधानी बना दिया गया | माधोसिंह मुगल सम्राट अकबर (1556-1605 ई.) के दरबार में दीवान था | भानगढ़ के मुख्य अवशेषों में प्राचीर, द्वार, बाजार, हवेलियाँ, मन्दिर, शाही महल, छतरियाँ , मकबरा आदि है | मुख्य मन्दिरों में गोपीनाथ, सोमेश्वर, केशव राय एवं मंगला देवी है जो नागर शैली में बने हुए हैं | शाही महल सात मंजिला माना जाता है, परन्तु अब इसकी चार मंजिलें ही शेष बची हैं | पूरी बस्ती एक के बाद एक तीन प्राचीर से सुरक्षित की गई थी | ब्रह्मा प्राचीर में प्रवेश हेतु पाँच द्वार बने है, जिन्हें उत्तर से