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जानिए क्यों भारतीय राजमार्गों के किनारे स्तिथ मील के पत्थर रंगीन होते हैं?

क्या आपने कभी ध्यान दिया है सड़क के किनारे रंग बिरंगे मील के पत्थर होते है | अलग-अलग जगह पर इन पत्थरों का रंग अलग-अलग होता है | लेकिन क्या आप जानते हैं कि सड़क के किनारे मील के पत्थर क्यों होते है और क्यों अलग-अलग स्थानों पर इनका रंग अलग-अलग होता है | मिल के पत्थर हमें बताता हैं कि निश्चित (Particular) स्थान से हमारा गंतव्य (Destination) कितना दूर है | भारत में सभी सड़कों पर एक जैसे रंग के मील के पत्थर नही होते है |  अलग-अलग स्थानों पर स्थित रंगीन पत्थरों का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि वह सड़क राष्टीय राजमार्ग (National highway) है, या राजकीय राजमार्ग (State highway) है जिला स्तरीय सड़क है या गांव की सड़क है | मील के पत्थर (Milestone) पर पीले रंग की पट्टी (Strip):  सड़क पर चलते वक्त या ड्राइव करते वक्त किनारे में एक ऐसा पत्थर दिखे जिका उपरी हिस्सा पीले रंग का हो तो समझ जाएं कि आप राष्टीय राजमार्ग (National highway) पर चल रहे हैं | मील के पत्थर (Milestone) पर हरे रंग की पट्टी (Strip):  जब आपको सड़क पर हरे रंग का मील का पत्थर दिखाई दे तो समझ जाइए की आप राजकीय राजमार...

जानिए क्यों भारतीय वाहनों में अलग-अलग कलर की नम्बर प्लेट इस्तेमाल होती है?

आप सभी ने अपनी रोज की जिन्दगी में सड़क पर कई रंगों की नम्बर प्लेटों जैसे सफ़ेद, पिली, काली और लाल इत्यादि को कारो में लगा हुआ देखा होगा | लेकिन क्या उस नम्बर प्लेट को देखकर आप यह समझ गए थे की यह कार किस व्यक्ति की है | यदि नही तो इस लेख में हमे इसी प्रकार के  नम्बर प्लेटों के बारे में बताया है | लाल (Red) कलर की नम्बर प्लेट का इस्तेमाल भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों के लिय किया जाता है | इस प्रकार की गाडियों में नंबर प्लेट नही होती, नम्बर प्लेट के जगह लाल कलर कि प्लेट पर "भारत के प्रतीक"(Emblem of India) होता है | नीले (Blue) कलर की नम्बर प्लेट  को ऐसी गाडियों में लगाई जाती है जिसका इस्तेमाल विदेशी प्रतिनिधियों, विदेशी दूतावासों और विदेशी राजनयिकों द्वारा किया जाता है | इन नम्बर प्लेट पर सफेद (white) कलर से नम्बर लिखा जाता है | यदि कोई नम्बर प्लेट काले (Black) कलर  की है और उस पर पीले कलर से नम्बर लिखा है तो इस प्रकार की गाड़ी का मालिक एक साधारण व्यक्ति होता है लेकिन इस प्रकार की गाडियों का प्रयोग वाणिज्यिक उद्येश्यो (commercial purpose) के लिए क...

जानिए भारतीय अर्तव्यवस्था को प्लास्टिक के नोट से क्या फायदा होगा?

भारत में नकली में नोट की बढती समस्या और कागज के नोट के जल्दी फटने के कारण होने वाली वित्तीय नुक्सान को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2014 से देश के 5 शहरों कोच्ची, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर में प्रयोग के आधार पर 10 रूपये के प्लास्टिक के नोट चलाने का फैसला लिया है, हालाँकि इसे प्रयोग में नही लाया जा सका है | इस काम के लिये शुरुवात में 10 रुपये के लगभग 1 अरब नोट छापे जाएंगे | प्लास्टिक के नोट की सबसे पहले शुरुवात कहा हुई थी? सबसे पहले प्लास्टिक के नोट की शुरुवात ऑस्ट्रेलिया में 1988 में हुई थी | इसे बनाने का श्रय रिज़र्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया, मेलबोर्न यूनिवर्सिटी और राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और ओद्योगिक अनुसन्धान संगठन को जाता है | इस प्रयोग में सफलता मिलने पर 1996 में इसे पुरे देश में लागू कर दिया गया |  कितने देशों में प्लास्टिक के नोट चलते है?  ऑस्ट्रेलिया के बाद प्लास्टिक के नोट कनाड़ा, इस्राइल, न्यूजीलैंड, फिजी, पपोआ, न्यू गिनिया, वियतनाम, रोमानिया, मॉरिशस और ब्रूनेई जैसे देशों में चलते है | वैसे पिछले 5 वर्षों में दुनिया के 30 देशों ने प्लास्टिक के नोट को ...

जानिए भारत देश का नाम "भारत" ही क्यों रखा गया?

विश्व में भारत सबसे पुरानी सभ्यता का एक जाने माना देश है | भारत विविध सभ्यताओं का देश है जहाँ लोग अपने धर्म और इच्छा के अनुसार लगभग 1650 भाषाए और बोलियों का इस्तेमाल करते है | संस्कृति , परंपरा, धर्म और भाषा से अलग होने के बावजूद भी लोग यहाँ पर एक-दुसरे का सम्मान करते है | प्राचीन काल से ही भारत देश को भारत (संस्कृत का शब्द है) के नाम से पुकारा जाता है | भारत देश का नाम भारत कैसे पड़ा इसके पीछे कई इतिहासकारों ने अपने अपने विचार रखे है | तो आइये जाने भारत देश का नाम कैसे पड़ा भारत पहला प्रमाण, भारत के भौगोलिक इतिहास के अनुसार: ऋग्वेद की सांतवी किताब के 18वें श्लोक में दशराजन युद्ध यानि कि दस राजाओं का युद्ध का वर्णन मिलता है | यह युद्ध दस राजाओं के महासंघ और भरत जनजाति के त्र्त्सू राजवंश के राजा सुदास के बीच लड़ा गया था | यह युद्ध पंजाब में रावी नदी पर हुआ था | इस युद्ध में राजा सुदास ने दस राजाओं के महासंघ पर विजय पाई थी | इस विजय ने राजा सुदास की प्रसिद्धी को कई गुना बढ़ा दिया था और अंततः लोग खुद को भरत जनजाति के सदस्यों के रूप में जानने लगे थे | इसीलिए, भरत नाम लोगों के मुंह...

सेंसेक्स क्या होता है और इसकी गिनती कैसे की जाती है?

सेंसेक्स  Sensitive Index  यानि संवेदी सूचकांक का संक्षिप्त रूप है .|  सेंसेक्स का शुभारम्भ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE) द्वारा 1 जनवरी 1986 को किया गया था | यह भारत के प्रमुख शेयर बाजार इंडेक्स में से एक है | इस सेंसेक्स की स्थापना बाजार में कंपनियों के शेयर मूल्यों मे उतार-चढ़ाव को जानने के लिय की गयी थी | इसमें 30 कंपनियों के शेयर मूल्यों में उतार-चढ़ाव का मुल्यांकन किया जाता है | ये 30 कंपनियाँ मार्केट वैल्यू के हिसाब से बड़ी और आर्थिक रूप से मजबूत होती है | इन 30 कंपनियों की सूचि समय-समय पर बदलती रहती है तथा BSE आवश्यकता के अनुसार इस सूचि में बदलाव करता रहता है मगर सेंसेक्स में कुल  कंपनियों की संख्या 30 ही रहती है | यदि सेंसेक्स बढ़ रहा होता है, तो यह दर्शाता है की BSE की ज्यादातर कंपनियों का स्टॉक मूल्य बढ़ गया है और यदि सेंसेक्स में कमी आई तो यह दर्शाता है की BSE की ज्यादातर  कंपनियों का शेयर मूल्य निचे गिर गया है | सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है और इस समय के लिय बेस इंडेक्स वैल्यू 100 पर सेट है | इसका मतलब है कि 1978 में सेंसेक्स 100 अंको के स्तर पर ...

फरवरी में 28 दिन क्यों होते है?

दोस्तों यह तो सभी जानते है की फरवरी में 28 दिन होते है | पर क्या आप जानते है ऐसा क्यों होता है ? बात आठवीं शताब्दी की है जब रोम में रोम्यूलस कैलेंडर चलता था| इस कैलेंडर में एक साल में 304 दिन के 10 महीने होते थे, जो मार्च से शुरू होकर दिसम्बर पर ख़तम होते थे| लेकिन रोम के दुसरे राजा नुमा पोम्पिलिउस ने सोचा की  कैलेंडर को सही किया जाये और सही करने के लिए उन्होंने एक साल को चन्द्र वर्ष  जितना लम्बा कर दिया, इसके के बाद एक साल में 354.36 days   होने लगे| नुमा ने नये कैलेंडर में जनवरी और फरवरी दो नये महीने जोड़ दिए और उन्होंने हर महीने को ओड डेज का बनाया था क्यूंकि रोम में इवन नंबर को अशुभ मानाते है | लेकिन 355 दिनों  का एक साल बनाने के लिए उसे किसी एक महीने को इवन बनाना ही था तो नुमा ने फरवरी  में  28 दिन का कर दिए| इतने बदलाव करने के बाद भी कैलेंडर सही नहीं बन पाया और यह मौसम के हिसाब से नही बन सका| क्योंकि सर्दी के मौसम में गर्मी का मौसम और गर्मी के मौसम में बारिश का मौसम आने लगा| ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि नुमा ने कैलेंडर को च...