Skip to main content

स्टीव जॉब्स - एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक

जो लोग यह सोच कर पागल होते है की वे दुनिया को बदल सकते है, तो वे लोग वो होते है जो ये कर सकते है | यह कहना है एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स का |
24 फरवरी 1955 को कैलिफ़ोर्निया में जन्मे स्टीव जॉब्स का जीवन जन्म से ही संघर्षों से भरा हुआ था | उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी, और इसी कारण वे उन्हें रखना नहीं चाहती थी, और इसीलिए स्टीव को किसी को गोद देने का फैसला लिया | फिर स्टीव को कैलिफ़ोर्निया के पॉल और कालरा स्टीव ने गोद ले लिया, पॉल एक मैकेनिक थे और कालरा एक अकाउंटेंट थी |
1961 में पॉल और कालरा कैलिफ़ोर्निया के माउंट व्यू में रहने लगे और वहाँ पर पॉल ने एक गैराज खोल लिया | यही पर स्टीव की पढाई शुरू हुई और वे यही पर बड़े हुए | स्टीव को बचपन से ही इलेक्ट्रिकल सामान अच्छे लगते थे, और वो किसी भी इलेक्ट्रिकल वस्तु को खोलते और जोड़ते रहते थे| स्टीव ने अपनी प्राथमिक (Primary) शिक्षा मोंटा लोमा स्कूल से और उच्च (High) शिक्षा कूपटिर्नो जूनियर हाई स्कूल से पूरी की थी |
1972 में अपनी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए ओरेगन(Oregan) के रीड कॉलेज (Read College) में दाखिला लिया जो की वहाँ की सबसे महंगी कॉलेज थी, जिसकी फ़ीस पॉल और कालरा मुश्किल से जमा कर पाते थे | थोड़े ही दिनों में उन्हें ये अहसास हुआ की वे इस कॉलेज में अपने माता-पिता के पैसे बर्बाद कर रहे है, यहाँ पर पढ़कर उन्हें अपने भविष्य में कोई फायदा नहीं होगा और उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया | लेकिन इस बात से उनके माता-पिता उनसे सहमत नहीं थे, इसीलिए अपने माता-पिता के कहने पर कॉलेज में नहीं जाने की जगह उन्होंने कैलीग्राफी क्लासेज जाना शुरू किया | जल्दी ही उसमें स्टीव की रूचि बढ़ने लगी | इस वक्त स्टीव के पास बिलकुल भी पैसे नहीं रहते थे, वे अपने दोस्त के कमरे के फर्श पर सोया करते थे |  खाना खाने के लिए वे कोक की बोतल बेच कर पैसे कमाया करते थे, इसके साथ ही वे हर रविवार को हरे कृष्णा के मन्दिर जाया करते थे, जहाँ पर उन्हें मुफ्त में भर पेट स्वादिष्ट खाना मिलता था |
1972 में स्टीव अटारी नाम की कंपनी में तकनीशियन का काम करने लगे | कुछ समय यहाँ काम करने के बाद 1974 में अपने धर्म गुरु से मिलने भारत गए और काफी समय भारत में गुजारा | भारत में रहने के दौरान उन्होंने पूरी तरह बोद्ध धर्म को अपना लिया और बोद्ध भिक्षु के जैसे कपड़े पहनना शुरू किया और पूरी तरह आध्यात्मिक (Spiritual) जीवन जीने लगे और 7 महीने के बाद वापिस कैलिफ़ोर्निया चले गए |
1976 में स्टीव के दोस्त वोजनियाक ने एप्पल 1 कंप्यूटर का अविष्कार किया | जब वोजनियाक ने यह स्टीव को दिखाया तो जॉब्स ने इसे बेचने का सुझाव दिया | इसे बेचने के लिए जॉब्स और वोजनियाक ने जॉब्स के गैराज में एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करना शुरू किया | स्टीव 1976 में अपने दोस्त वोजनियाक के साथ एप्पल नाम की कंपनी का निर्माण करना चाहते थे, लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्या आ रही थी | लेकिन उनकी ये समस्या उनके एक मित्र माइक मर्कुल्ला ने दूर कर दी साथ ही वे कंपनी में साझेदार (Partner) भी बन गये और स्टीव ने एप्पल नाम की कंपनी बना ली और एप्पल के पर्सनल कंप्यूटर बेचने लगे | एप्पल तेजी से आगे बढ़ती गयी और पैसे कमाती गयी और पहले साल के अंत में ही पर्सनल कंप्यूटर बनाने वाली विश्व की दूसरी बड़ी कंपनी और  इतनी बड़ी मात्रा में पर्सनल कंप्यूटर का उत्पादन करने वाली विश्व सबसे बड़ी कंपनी बन गयी |
कुछ समय बाद वोजनियाक ने एप्पल 2 बनाया और एप्पल 2 को लोगों ने बहुत पसंद किया | एप्पल कंपनी बहुत जल्दी आगे बढ़ने लगी और 1980 तक यह एक जानी मानी कंपनी बन गयी | 10 साल में एप्पल ने 2 बिलियन रुपय कमाए और एप्पल में 4000 लोग काम करने लग गए |
लेकिन उनकी ये उपलब्धि ज्यादा देर तक नहीं रही, उनके साझेदारो द्वारा उनको ना पसंद किए जाने लगा और आपस में कहासुनी के कारण एप्पल की लोकप्रियता कम होने लगी | धीरे-धीरे कंपनी कर्ज में डूबने लगी और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में सारे दोषों को स्टीव के ठहराकर सन् 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया | ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था | क्योंकि जिस कंपनी को उन्होंने कढ़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल  दिया गया था | स्टीव के जाते ही कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी |
एप्पल से इस्तीफा देने के 5 साल बाद उन्होंने Next-ink और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुवात की | Next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी और उनका उदेश्य बेहतरीन सॉफ्टवेर बनाना था और Pixer में animation का काम होता था | एक साल तक काम करने के बाद पैसो की समस्या आने लगी तो उन्होंने रोष पेरोट के साथ साझेदारी कर ली और पेरोट ने पैसो का निवेश किया | सन् 1990 में Next-ink ने पहला कंप्यूटर बाज़ार में उतारा लेकिन बहुत ही ज्यादा महँगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका | फिर Next-ink ने Inter personal कंप्यूटर बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोक प्रिय हुआ | 
सन् 1996 में एप्पल ने स्टीव की Pixer को खरीदा इस तरह उनकी एप्पल में वापसी हुई | सन् 1997 में उनकी मेहनत के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और वे एप्पल के सी.ई.ओ.बन गये | सन् 1998 में उन्होंने आईमैक(I-Mac) को बाजार में लॉन्च किया, जो काफी लोकप्रिय हुआ और एप्पल ने बहुत ही बड़ी सफलता हासिल कर ली | उसके बाद I-Pad, I-Phone और I-Tune भी लॉन्च किये | सन् 2011 में सी.ई.ओ. पद से इस्तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्यक्ष बन गये | उस वक्त उनकी सम्पति US $7 बिलियन थी | स्टीव को सन् 2003 में pain creative नाम की कैंसर की बिमारी हो गयी  थी | कैंसर की बीमारी के कारण 5 अक्टूबर 2011 को पालो आल्टो कैलिफ़ोर्निया में उनका निधन हो गया |

Dear Knowledge Chat readers आपको यह article कैसा लगा comment के द्वारा जरुर बताईएगा | अपने दोस्तों और परिवार के साथ ये article facebook, whatsapp and twitter पर शेयर करना ने भूले | ऐसी मजेदार जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमे subscribe करे |

Comments

Popular posts from this blog

यमुना नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Yamuna)

यमुना जिसे जमुना के नाम से भी जाना जाता है भारत की एक नदी है | यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है | यह यमुनौत्री नामक जगह से निकलती है | यमुना का उद्गम स्थान हिमालय  के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी  कहा जाता है। पश्चिमी  हिमालय   से निकल कर  उत्तर प्रदेश  एवं  हरियाणा   की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी  सहारनपुर  (मैदानी इलाका) पहुँचती है। फिर यह दिल्ली,  आगरा   से होती हुई  इलाहाबाद   में गंगा   नदी में मिल जाती है। यमुना नदी की औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) तक है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (50 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट (1 मीटर) तक हैं। यमुना नदी की लम्बाई 1,376 की.मी. हैं | यमुना नदी के किनारे बसे नगर दिल्ली, आगरा, हमीरपुर, इलाहाबाद आदि हैं | इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन  उल्लेखनीय हैं। दुनियां के सात अजुबों में से एक विश्‍व प्रसिद्ध इमारत ताजम

कावेरी नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about river Kaveri)

कावेरी नदी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहनेवाली नदी है | इसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है | पु राणों ने इस नदी को अग्नि देवता की 16 नदी पत्नियों में से एक बताया है। कर्नाटक राज्य के कुर्ग के पास ब्रह्मगिरि पर्वत पर चंद्रतीर्थ ही इस नदी की उद्गम स्थली है। श्री रंगपट्टम, नरसीपुर, तिरुमकुल, शिव समुद्रम आदि कई तटवर्ती तीर्थ व नगर इसके किनारे स्थित हैं। कर्नाटक राज्य में  एक सुन्दर क्षेत्र है, कुर्ग । कुर्ग के ‘ब्रह्मगिरी’ (सह्या) पर्वत पर 'तालकावेरी' नामक तालाब है। यही तालाब कावेरी नदी का उदगम-स्थान है। यह सह्याद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व की दिशा में कर्नाटक और तमिलनाडु से बहती हुई लगभग 800 किमी मार्ग तय कर कावेरीपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है । कावेरी नदी में मिलने वाली मुख्य नदियों में हरंगी, हेमवती, नोयिल, अमरावती, सिमसा , लक्ष्मणतीर्थ, भवानी, काबिनी मुख्य हैं । कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंट कर फिर एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं, उन द्वीपों पर क्रमश: आदिरंगम , शिवसमुद्रम तथा श्रीरंगम नाम से श्री विष्णु भग

गोदावरी नदी की महत्वपूर्ण जानकारी (Important information about Godavari river)

गोदावरी   दक्षिण   भारत  की एक प्रमुख  नदी  है| इसे दक्षिण की  गंगा  भी कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमघाट की पर्वत श्रेणी के अन्तर्गत  त्रिम्बक  पर्वत से हुई है। यह  महाराष्ट्र  में  नासिक  जिले से निकलती है।    इसकी लम्बाई लगभग 1450 किलोमीटर है।   गोदावरी की  उपनदियों  में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा। यह महाराष्ट,तेलंगना और  आंध्र प्रदेश  से बहते हुए राजहमुन्द्री शहर के समीप  बंगाल की खाड़ी  मे जाकर मिलती है। गोदावरी नदी गंगा नदी के बाद भारत की सबसे बड़ी नदी है | महाराष्ट्र के नासिक नगर से 30 कि.मी. पश्चिम में ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलकर गोदावरी नदी लगभग 1,450 कि.मी. तक प्रवाहित होकर मछलीपत्तनम नरसापुर के उत्तर तथा राजमहेन्द्री से 70 कि.मी. पूर्व ही सात भागों- कौशिकी, वृद्धगौतमी, गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी तथा तुल्या वसिष्ठा में विभाजित होकर बंगसागर में प्रविष्ट हो जाती है। सात भागों में विभाजित होने से सप्त गोदावरी भी इसका नाम पड़ा है। नामकरण - कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द 'गोद' से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है | एक बा