यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. की ऊँचाई पर स्तिथ देवी यमुना का एक मंदिर है | चार धामों में से एक धाम यमुनोत्री से यमुना का उद्गम मात्र एक किमी. की दुरी पर है | यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक है | गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले की राजगढी(बड़कोट) तहसील में ॠषिकेश से 251 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा उत्तरकाशी से 131 किलोमीटर पश्चिम -उत्तर में 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यमुनोत्री चार धाम का पहला पड़ाव है |
अक्षय तृतीय के पावन पर्व पर मंदिर के कपाट खुलते हैं और दीपावली के पावन पर्व पर बंद हो जाते हैं | यमुनोत्री मंदिर के आसपास के क्षेत्र में गर्मजल के अनेकों स्त्रोत हैं | यह स्त्रोत अनेक कुंडों में गिरते हैं, इन कुंडों में सबसे सुप्रसिद्ध कुंड सूर्यकुंड हैं | भक्तगण देवी को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए कपड़े की पोटली में चावल और आलू बांधकर इसी कुंड के गर्म जल में पकाते है | देवी को प्रसाद चढ़ाने के पश्चात इन्ही पकाये हुए चावलों को प्रसाद के रूप में भक्त जन अपने घर ले जाते हैं | सूर्यकुंड के निकट ही एक शिला है जिसे दिव्य शिला कहते हैं | इस शिला को दिव्य ज्योति शिला भी कहते है | भक्तगण भगवती यमुना की पूजा करने से पहले इस शिला की पूजा करते हैं | एक पौराणिक गाथा के अनुसार यह असित मुनी का निवास था | वर्तमान मन्दिर का निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19 वीं सदी में करवाया था |
यमुनोत्री के यहाँ यमुना नदी |
यमुनोत्तरी का मार्ग : हनुमान चट्टी (2400मीटर) यमुनोत्तरी तीर्थ जाने का अंतिम मोटर अड्डा है | इसके बाद नारद चट्टी,फूल चट्टी व जानकी चट्टी से होकर यमुनोत्तरी तक पैदल मार्ग है | इन चट्टीयों में महत्वपूर्ण जानकी चट्टी है,क्योंकि अधिकतर यात्री रात्रि विश्राम का अच्छा प्रबंध होने से रात्रि विश्राम यहीं करते हैं | यमुनोत्तरी से कुछ पहले भैंरोघाटी स्थित है, जहाँ भैंरो का मन्दिर है। देवी यमुना के मंदिर तक चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करनेवाला है | मार्ग पर अगल-बगल में स्थित गगनचुंबी, मनोहारी नंग-धडंग बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं | इस दुर्गम चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की हरितिमा मन को मोहने से नहीं चूकती है | सड़क मार्ग से यात्रा करने पर तीर्थयात्रियों को ऋषिकेश से सड़क द्वारा फूलचट्टी तक 220 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां से 8 किमी की चढ़ाई पैदल चल कर अथवा टट्टुओं पर सवार होकर तय करनी पड़ती है | यहां से तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए किराए पर पालकी तथा कुली भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं। यमुनोत्तरी पहुँचने पर यहाँ के मुख्य आकर्षण यहाँ के तप्तकुण्ड हैं | इनमें सबसे तप्त जलकुण्ड का स्रोत मन्दिर से लगभग 20 फीट की दूरी पर है, जिसका नाम सूर्यकुण्ड एवं तापमान लगभग 90 डिग्री सेल्सियस है,जो कि गढ़वाल के सभी तप्तकुण्ड में सबसे अधिक गरम है | इससे एक विशेष ध्वनि निकलती है,जिसे "ओम् ध्वनि"कहा जाता ह |
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