दुनिया की लगभग 90 प्रतिशत आबादी लिखने के लिए अपने दाहिने हाथ (राईट हैण्ड) का प्रयोग करती है जबकि मात्र 10 प्रतिश्त लोग ही अपने बाए हाथ (लेफ्ट हैण्ड) इस्तेमाल करते हैं परंतु क्या आपने कभी ऐसे प्रतिभाशाली लोगो को देखा है जो लिखने में अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हैं | इस लेख में हम ऐसे ही लोगो की बात करने जा रहे है जिनकी संख्या पूरी दुनिया में मात्र 1 प्रतिशत ही है |
ऐसी ही कौशल शक्ति रखने वाले कुछ छात्र भारत में भी है जो की विना वादिनी विद्यालय, मध्यप्रदेश में स्थित सिंगरौली नामक जगह पर पढ़ते हैं | 8 जुलाई 1999 को एक पूर्व सैनिक वीपी शर्मा ने इस स्कूल की स्थापना की थी | पूर्व, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के दोनों हाथों से लिखने की कला से प्रभावित होकर उन्होंने इस स्कूल की स्थापना की थी | वीपी शर्मा के अनुसार कक्षा 1 से छात्रों को परीक्षण देना शुरू किया जाता है और जब तक वे कक्षा 3 तक पहुँचते हैं तब तक वे दोनों हाथों से लिखनें में सहज महसूस करते हैं और कक्षा 7 और 8 के छात्र गति और सटीकता के साथ लिख सकते हैं | ये छात्र दो लिपियों को भी एक साथ लिख सकते हैं |
डॉ राजेंद्र प्रसाद, लियोनार्डो दा विंसी, बेन फ्रैंकलिन, और अल्बर्ट आइंस्टीन, इतिहास के कुछ सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति थे, जो दोनों हाथों से लिख सकते थे |
इस विद्यालय के बारे में कुछ रोचक तथ्य :
1. यह भारत का एकमात्र ऐसा स्कूल हैं जहाँ छात्र एक साथ दोनों हाथों से लिख सकते हैं | इसमें 150 से अधिक छात्र हैं, जो एक ही समय में दोनों हाथों से एक साथ लिखते हैं |
2. ये छात्र हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू , संस्क्रत, अरबी और रोमन जैसी छह अलग-अलग भाषाओं में लिख सकते हैं |
3. ये छात्र एक या डेढ़ घंटे में तीन घंटे की लंबी परीक्षा पूरी कर सकते हैं |
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